फिल्म पागल आश्कि का निर्देशन करते मनीष वर्मा
बोलने व विचार रखने की आजादी ईश्वरप्रदत्त हैं मगर वर्तमान परिवेश ऐसा बन चुका है कि आम जनता की आवाज कहीं दबक्कर रह जाती हैं। हर व्यक्ति के दिलोदिमाग में देश व समाज को बदलने की इच्छा होती है, पर सही मंच न मिलने के कारण लोग विचारो को सार्थक अभिव्यक्ति नही दें पातें। शहर के मनीष वर्मा के मन में ऐसी ही उथल-पुथल मची तो इन्होने फिल्मी दुनिया को न सिर्फ अपना केरियर बनाया, बल्कि इसे समाज सेवा का भी बेहतर जरिया भी बनाया। इसी के जरियें वैचारिक क्रितिं लाने में 
शैचालय एक प्रतिज्ञा फिल्म पर सम्वाद
जुटें हैं।
परिचय:- सिद्धार्थ नगर के रहने वाले 24 वर्षीय मनीष वर्मा सूचना व तकनीकी से बीटेक कर चुके हैं। इनके पिता लाल सिंह वर्मा सेवानिवृत्त शिक्षक है। वर्ष 2014 में मनीष वर्मा ने मुंबई पें बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर अपने केरियर की शुरूआत की। ब्रज क्षेत्र के कलाकारों को बढावा देने के लिए उन्होने लघु व सामाजिक मुद्यों पर फिल्मों  की ओर रूख किया। अस प्रोजेक्ट की केंद्र सरकार ने भी सराहना की। वर्ष 2015 में असके लिए वे दिल्ली में आयाजित एमएसएमई सेमिनार में केंद्रीय मंत्री जनरल बीके सिंह के द्वारा सम्मानित भी हुए। इसके मोटिवेशनल मूवीज रिलीज कर कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की।
उपलब्धियां
कम बजट की लघु फिल्मों के क्षेत्र में मनीष वर्मा अपने काम से अलग पहचान बना चुके है। अपने हर प्रोजेक्ट
फिल्मः- जागो इण्डिया जागो
के लिए वे सम्मानित हो चुके है। अब वे प्रशासनिक पा्रजेक्ट्स भी हैंडल कर रहे हैं। इसके साथ ही वे आम लोगो से भी फेसबुक, ट्विटर व वाट्सएप के जरिए सुझाव आमंत्रित करते हैं। इस समय मनीष ’बेटी बचाओ’ व ’सड़क सुरक्षा’ विषय पर काम कर रहे हैं।